Wednesday 18 April 2012

बाबा की महिमा

कल सुबह जब मैं उठा तो बाहर की तरफ देखा | ये तो रोज की ही आदत है | पहले बाहर देखे कुछ नया हुआ क्या |ये तो पता है कुछ नया नही होना है जब आजदी के बाद ६५ वर्षों में नही हुआ तो अब क्या उम्मीद रखे | लेकिन फिर भी दिल है की  मानता नही | सुबह का नज़ारा कुछ अजीब सा था | काफी महिलाये स्लेटी रंग का कुर्ता और सफ़ेद रंग का पैजामा पहने दिखी और उनकी संख्या काफी अधिक थी | ऐसी पोशाक कानपुर के एक स्कूल के परिधान की तरह थी | महिलाओं की उम्र ४० से उपर की ही थी | मुझे तो खुशी का खजाना न रहा की वाह सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा का ऐसा बिगुल बजाया है की उम्र दराज लोग  भी अब पढ़ने को तत्पर है | स्वत ही मेरे दिमाग में भविष्य दिखने लगा चलो अब तो देश का शिक्षा उन तक पहुच रही है जहा तक लोग इसको लेकर जागरूक नही थे | मुझे तो लगने लगा की अब तक जो साक्षरता की दर कागजो में  ७२.०६ प्रतिशत के पास है वो सही रूप ले लेगी | फिर तो क्या देश की महिलाए साक्षर होगी तो देश अपने आप प्रगति की ओर दौड पड़ेगा | महिलाये शिक्षित होगी तो उनका भी सम्मान और बढेगा | वैसे मनु स्मृति में पढ़ा था " यत्र नारी पूजयन्ते तत्र राम्यनते देवता " अर्थात जहा नारी की पूजा होती है वह देवताओ का वास होता है | वैसे ये चीजे तो प्राचीन पुस्तकों में है कौन मानता है | वैसे मनुष्य प्रारम्भ से ही जो उसके दिमाग को सही लगे वो मन लेता है और जो नही उसको दूर कर देता है | तो मनुष्य ने सभी भगवान पूज डाले और यहा तक की नवरात्रों में तो ९-९ दिन तक भूखा रहा | लेकिन उसने कभी इस विचार को दिमाग में नही लाने दिया की  " यत्र नारी पूजयन्ते तत्र राम्यनते देवता " उसने सोचा मंदिर में तो पूज ही रहे है अब घर या समाज में नही | वैसे भी किसी चीज़ की अधिकता से पेट  खराब ही होता है |
                          अब ये महिलायों का घर घर जा कर लोगो को कुछ  बता रही थी | वाह क्या अद्भुत द्रश्य था की स्वयं तो पढ़ रही है और लोगो को भी जागरूक कर रही है | अति आनंद की बात | मैं भी प्रतीक्षा में था की मेरे घर आएगी और मैं भी कुछ सहयोग में अवश्य दूँगा | काफी देर बाद वो आइ और उन्होंने जैसे ही बोला मेरे तो सारा भविष्य का प्रोग्राम ही चौपट हो गया | आप के घर के पास  निरकारी बाबा आ रहे है कृपया वहा पहुच कर नमस्कार करे और कृपा प्राप्त करे | मैंने अपनी भावनाओ को समेटा और चल दिया बाबा जी को नमस्कार करने | शाम हो चुकी थी मैंने पढाने को विश्राम दिया और निकल  पड़ा | जैसे ही मैदान में पंहुचा देखा तो हजारों की संख्या में भक्त लोग नमस्कार करने के लिए कतार में खड़े है | मेरी तो पहले ही  हिम्मत  जवाब दे गए मैंने सोच लिया बिना नमस्कार किये ही प्रवचन सुन लेते है | पहली बार मैंने किसी सत्संग में देखा की लोग बाबा के मंच के आगे जाकर नमस्कार कर रहे रहे है और उसी के पास  दूसरे मंच  पर लोग अपने अपने अनुभव बाट रहे है सभी के साथ  | बीच बीच में अलग अलग  भाषा में भजन गाकर बाबा जी दिव्यता का गुणगान भी कर रहे है | मैं दो घंटे खड़ा हो कर यही देखता रहा | फिर अंदर से लगा चलो इतने लोग नमस्कार कर रहे है मुझे भी करना चाहिए | मैं भी लग गया कतार में काफी देर बाद नंबर आया बाबा जी के सामने नमस्कार करने का | मैंने दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार किया | तभी वहा खड़ा एक  सेवादार बोला महापुरुष जी नमस्कार करिये | पहले तो मुझे सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ  की उसने मुझे महापुरुष बोला |आज से पहले ऐसी अनुभूति नही हुइ थी की किसी ने महापुरुष बोला हो | अब तो लगने लगा की यही वो मनुष्य है जिसको मेरी दिव्यता दिखाए दी है | अन्यथा तो दुनिया बेकार है किसी से ज्ञान की बाते करे तो वो तो यही बोलता है पागल हो गया है और इसने मुझे देखते ही पहचान लिया |वाह पहचान करने वाला हो तो ऐसा | लेकिन ये अनुभूति कुछ पल की थी उसने ऐसा ही कुछ मेरे पीछे कतार वाले से भी बोल दिया | अब वो फिर बोला    महापुरुष जी नमस्कार करिये | मैंने सोचा की बचपन से अभी तक तो दोनों हथेलियो की मिला कर ही नमस्कार करते है मुझे तो पहले अपने नमस्कार पर ही संदेह होने लगा की बचपन में सही से सिखा था की नही | सेवादार ने फिर वही वाक्या दोहराए मैंने अब बोल दिया की भैया नमस्कार ही तो कर रहा हू | महापुरुष जी कृपया नीचे देखे | मुझे तुरंत ध्यान आया की सर झुका के नमस्कार करना है | इस सेवादार ने तो मुझे सही राह दिखा दी | मैंने जैसे ही सर झुकाया देखा की नीचे एक बड़ा सा दानपात्र रखा है और उस पर लिखा है नमस्कारी |
                          

Sunday 18 March 2012

पहली बार ब्लॉग में

बहुत दिन से  कही कुछ लिखने का मन था | प्रारम्भ में कुछ पुस्तकों में लिखा फिर सब कुछ बंद हो गया फिर लगा और लोगो के पास तक कैसे पहुचे तो ये मिल गया | धन्यवाद गूगल